
सीता विदाई की कथा सुनते ही श्रद्धालुओं की नम हुई आंखें
वाराणसी/गंगापुर/संसद वाणी
जनपद के आदर्श नगर पंचायत गंगापुर में चल रही नौ दिवसीय श्रीराम कथा के अंतिम दिन सीता विदाई का बड़े ही सुंदर ढंग से वर्णन किया।
अवध के परम पूज्य सुखनंदन शरण महाराज श्री ने कहा कि जीवन में सुखी रहने के लिए हरिसुमरण और संतों की कृपा होना जरूरी है। कथा के अंतिम दिन जब उन्होंने सीता जी की विदाई की कथा का वर्णन किया और बताया कि राजा जनक किस तरह अपनी बेटी की विदाई करते हैं। सीता की विदाई की कथा सुन श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। आंखों से आंसू बरबस ही बहने लगे। महाराज ने कहा कि किसी भी व्यक्ति के लिए बेटी की विदाई का समय बड़ा कठिन होता है। उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की कथा ही केवल कथा है, बाकी सब व्यथा है। जीवन में प्राणी का भगवान से जुड़ना कथा है। भाग्यशाली की परिभाषा बताते हुए कहा कि हनुमान जी बड़भागी हैं, जटायु परम बड़भागी और अहिल्या अतिशय बड़भागी हैं।
अंतिम दिन सीता विदाई की वर्णन सुनते ही पंडाल में बैठे श्रद्धालुओं की आंखें नम हो गई।
अंततः कार्यक्रम के अंतिम दिन तबला वादन बांसुरी वादन गिटार वादन पर बैठे लोगों को स्मृति चिन्ह वह अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया।
श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण कर कार्यक्रम का समापन किया गया।